कविता 21-05-2020
सत्य संसार
मत कर इतना गुमान तू
दुनियाँ के दृश्य अनेक है
पग-पग पर सजावट है
सजावट के लोग फूल हैA।
प्रेम-भाव रख सब चीज से तू ,
चाहे वह सजीव या निर्जीव हैI
मत हँस दीन लोगों को देखकर,
एक दिन अपना शरीड़ भी निजींव है।|
इतिहास उठा कर देखले तु,
राजाओं के कफन में जेब नहीं |
फिर भी तुझे विश्वास नहीं तो,
रास्ता
से लेजाता मुर्दा देखलें ।|
जा कर एक दिन एक काम कर तू ,
दिन बीता कब्रिस्तान ; श्यमशान में |
दोनो जगह शरीड़ मिलता मिट्टी में ,
अन्तर है सिर्फ विधि और आग में ||
मत कर गर्व -दौलत पर तू ,
जिन्दगी बीता अरमान सें |
कष्ट- दुःख है कई प्रकार में ,
अच्छा कर्म कर इस संसार में । |
→ अनुज कुमार
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